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Monday 20 July 2009

Kathasagar:pride of knowledge

यह घटना उस समय की है, जब सौराष्ट्र में एक बार भीषण तूफान आया। तूफान ने समूचे क्षेत्र को तहस-नह

स कर दिया। बड़ी संख्या में वृक्ष गिर गए, घरों को भी भारी नुकसान पहुंचा। एक गांव का प्रसिद्ध मंदिर भी इसकी चपेट में आ गया। उस मंदिर को हुए भारी नुकसान को देखकर गांव के लोग अत्यंत चिंतित हो गए। वे एक साथ आध्यात्मिक विभूति श्री पांडुरंग शास्त्री आठवले जी के पास पहुंचे।

उन्होंने आठवले जी को अपनी चिंता से अवगत कराया और कहा कि गांव के मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए और आठवले जी इसकी अगुआई करें। गांववासियों की बात सुनकर आठवले जी बोले, 'एक ही मंदिर क्यों बनाते हो? प्रत्येक घर में मंदिर की स्थापना करो।' आठवले जी का जवाब सुनकर सभी लोग आश्चर्यचकित होकर बोले, 'एक मंदिर बनाने के लिए तो हमारे पास धन नहीं है और आप हर घर में मंदिर बनाने के लिए कह रहे हैं। भला हर घर में मंदिर कैसे बनाया जा सकता है?'

आठवले जी गांववासियों को समझाते हुए बोले, 'प्रत्येक घर में आम का पेड़ लगाओ। गांव के नष्ट हुए मंदिर के आसपास भी आम के पेड़ लगाओ। जब पेड़ उगने लगें तो उन पर जल चढ़ाओ, दीप जलाओ, उनकी पूजा करो। फिर देखना कैसा चमत्कार होता है।' आठवले जी की बात पर गांववासियों ने गंभीरता से विचार किया और देखते ही देखते घर-घर में पेड़ लगाए जाने लगे। कुछ साल बाद पूरा गांव ही आम के बाग में बदल गया। उन पेड़ों में खूब आम फले जिन्हें बेचकर काफी धन प्राप्त हुआ।

उसी धन से गांव में 'अमृतालय' मंदिर की स्थापना की गई। मूर्ति प्रतिष्ठा समारोह में स्वयं श्री आठवले जी उपस्थित थे। उनके इस अद्भुत अभियान ने पूरे गांव को एक सूत्र में बांध दिया। फिर पूरे गांव में आठवले जी ने स्वाध्याय की लहर फैलाई। उनके एकता व स्वाध्याय अभियान के कारण गांव समृद्ध, शिक्षित व सुसंस्कृत बन गया ।

Hare Krishna !!

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