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Tuesday 19 May 2009

Maharaj Kripaluji's Message

महाराज जी के सन्देश :-
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Message - 1
अगर मान लो िकसी ने िकसी की बुराई की, तो तुम राधे राधे कहना शुरू कर दो, िजससे वह चला जाए वहाँ
से |
क्योंिक उसकी बात सुनकर तुम भी िचंतन करोगे (संसार में तो लोग बढा चढा कर बोलते हैं) और तुम्हे
उसकी फीिलंग होगी |
तुम्हारे काम का नुक्सान होगा, आत्म शि􀆠 न􀆴 होगी | साधना न􀆴 होगी, फायदा कुछ न होगा |
अतः ऐसा पक्का िनयम बना लो की बोलो तो भगवत - िवषय ही बोलो | जहाँ तीन आदमी बैठे हैं वहाँ धीरे-
धीरे कीतर्न करते रहो |
खली समय जो भी िमले उसमे घूमो, टहलो, बातें न करो, न िकसी को राय दो, न बोलो, न सुनो |
िजतनी बात करना हो हमसे कर लो | खली बकना हो, बक लो | हम तैयार हैं, आपस में ब􀃙तमीजी न करो |
हमारे कान बहुत बड़े हैं, चाहे िजतना बकते जाओ, कोई असर नहीं होगा | लेिकन तुम फील करके बीमारी
बढा लेते हो | ूत्येक में अनंत दोष भरे पड़े हैं, अगर िकसी ने कुछ कह िदया तो क्या बुरा िकया |
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आराम कर रहे हो तो टेप लगा लो या बैठ कर कीतर्न करने लगो |
ऐसा कर के िदखा दो िक एक भी िशकायत न िमले |
उससे ख़ुशी के मारे हमारा एक िकलो खून बढ़ जाए |
नुक्सान तुम लोगों का होता है और ममता से दःुख हमें होता है |
इतनी सारी भगवत कृपायें तुम लोगों पर है, अब और क्या कृपा इससे अिधक होगी |

तुम्हारा
कृपालु

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