किसी शहर में एक नौजवान रहता था, जो मेहनत करने से बहुत घबराता था। वह प्रतिदिन भीख मांगने के नए-नए तरीके
|
आत्मतत्व का ज्ञान
उद्दालक ने विश्वजीत यज्ञ किया और दक्षिणा में वृद्ध और कृशकाय गायें दान कीं। पुत्र नचिकेता इस दान को समझ न सका और उसने अपने पिता से पूछा, 'आपने मुझे किसे दान में दिया?' नचिकेता के इस संकेत को न समझ उद्दालक ने क्रोध में कहा, 'जा मैंने तुझे मृत्यु के देवता को दान में दिया।' नचिकेता यमलोक गया। कठिन परीक्षा के पश्चात यम प्रसन्न हुए और तीन वर मांगने को कहा। नचिकेता ने पिता के क्रोध को शांत करने, अग्निविद्या का रहस्य और आत्मतत्व संबंधी ज्ञान का वरदान मांगा। यम ने कई प्रलोभन देकर नचिकेता को परखा किंतु वह विचलित नहीं हुआ और आत्मतत्व संबंधी ज्ञान लेकर ही संतुष्ट हुआ। इसके बाद से अग्निविद्या का नाम नचिकेता के नाम पर पड़ा और यम-नचिकेता का वह संवाद 'कठोपनिषद' के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
Hare Krishna !!
0 comments:
Post a Comment