एक बार नारद जी ने प्रभु से कहा
कि प्रभु आपके इस बैकुंठ में कितनी जगह है !
जीव धरती पर कितना दुखी है, आप उसे यहाँ क्यो नही रखते ?
प्रभु ने कहा कि हम तो तैयार है, पर यहाँ कोई आना ही नही चाहता !
नारद जी ने कहा प्रभु मै लेकर आता हूँ !
नारद जी एक बुढे आदमी के पास गए, जो मरने बाला था !
नारद जी ने कहा कि तुम मौत का क्यो इंतज़ार करते हो,
मेरे साथ बैकुंठ चलो और वहां सुख पूर्वक रहो !
परन्तु वो नही माना !
कभी कहता कि बेटे की शादी करके जायूँगा,
और तो कभी कहता कि पोते को देख कर जायूँगा !
ऐसे कहते कहते ही मर गया,
पर नारद जी के साथ नही गया !
ऐसे ही नारद जी ने बहुत जीवो को जोर लगाया,
पर कोई भी चलने को तैयार नही हुआ !
अंत में नारद जी प्रभु के पास गए
और बोले कि प्रभु आप ठीक कहते है
कोई भी आप के पास नही आना चाहता !
प्रभु को वो ही पा सकते है,
जिन को प्रभु के सिवा कुछ ओर नही चाहिए !
राधे राधे
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हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
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Hare Krishna !!
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